खामोशियाँ : कुछ अधूरी यादें

बहुत सोचा तेरे खत का जवाब लिखूं,
मगर लिखूं भी तो क्या लिखूं।
चंद लफ्जों में बयान कैसे हो,
सोचा हाल ए दिल पे एक किताब लिखूं॥
जिक्र तेरा आए उससे पहले,
तुमको गुल लिखूं या माहताब लिखूं॥
मेरे हाथों में हो अगर किस्मत की किताब,
तो इश्क से आगाज और इश्क पे अंजाम लिखूं॥

ये किताब दिल के उन एहसासों को बयान करती है, जो पहले प्यार के दूर हो जाने पर हम महसूस करते है।

किताब मैं लिखी हर एक शायरी आपके दिल तक जाएगी, और आपको आपके पहले प्यार की याद दिलाएई।

यह लफ्ज़ नही एहसास है,
तेरे मेरे दिल के अल्फाज है।
जो कत्ल हुए बरसो पहले,
दिल मैं दफन वो जज़्बात है।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *