अस्तित्व

तु वो दिया है जिससे रोशन पुरी कायनात है,
तुम्हारे अस्तित्व के बिना झुठी ही ये सारी जमात है।
अबला के नाम पे तो तु यूँही बदनाम है,
वरना तेरे बगैर दर्द सहने की मर्द की क्या बिसात है।।

तु मुस्कुुरा दे तो मेरा सुरूर है,
नाराजगी जाहिर ना करे तो तु ही गुरूर है।
चुपचाप सह ले अपना दर्द, तो वाह क्या बात है
मगर बयाँ जो कर दे तो तु नासुर है।।

रूप का सागर तुझे जमाना कहता है,
लबों की हसी पे दीवाना मरता है।
चाह तो रहती है जिन्दगी संग बिताने की,
पर ख्याल एहतराम का मुझे बेगाना करता है।।

रंगीन अदाओं में डुबी हुई शाम लगे,
भरी महफिल की तु जाम लगे।
अपनी आवारगी खुद को दीवाना बनाती है,
पर तेरी शरारते मुझे बदनाम लगे।।

तु चाह दे तो मर्द की कहानी बदल सकती है,
रगों में दौड़ती हुई जवानी बदल सकती है।
फिर न जाने इसे अकड़ किस बात की है,
क्योंकि तेरा ही आँचल इसकी जिन्दगानी बदल सकती है।।

यहाँ हर वृक्ष की जवानी तेरे अमृत से है ,
कामयाबी की हर रात जिसकी तेरे संदर्भ से है।
वो बात करता है तुझे शर्मशार करने की,
जिसकी जर्रे जर्रे की कहानी ही तेरे गर्भ से है।।

तेरी खामोंशी मर्द की नींव हिला सकती है,
साथ तेरा उसकी तकदीर बना सकती है।
तेरी नाराजगी सिर्फ तेरी अपनी नही रहती,
ये वो जहर है जो जमाने को खाक बना सकती है।।

तेरा हक अदा नहीं कर सकते हम,
तेरे दर्द की सीमा सागर से भी गहरे हैं।
यहाँ आकर चाहे लाख ऊँचाईया छु ली है हमने
पर उससे कही पहले इस जमीं पे मेरे पाँव तेरे रहम से ही पड़े है।।

1 Comment

  • बहुत खुब👏

    Saurav Mishra Reply

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