खवाबों की कोई सीमाऐं नहीं होती,
ऐसा ही एक हसीन सपना देखा था तुमको पाने की।
पर क्या पता था, मेरे करीब आने की तुम्हारी वजह ही थी,
इस गरीब के आशियाने मे आग लगाने की।।
कभी तुमको पाने की ख्वाहिश रखते थे हम,
पर आज तेरे नाम से ही चिढ़ होती है।
सोचता हु जिन्दगी के उस उम्र का भी अपना अंदाज होता है,
जब किसी के लिए कुछ भी कर गुजरने की जिद होती है।।
एक वक्त था जब हम तुम्हारे दीवाने हुआ करते थे,
हर शाम आशिकाना हुआ करता था।
पर रूबरू जो हुए तेरे दिलकश रंग से, तब समझा,
मैं तो सिर्फ एक मोहरा था, ये तो किसी और का नजराना हुआ करता था।।
ऐसी बात नहीं कि मुझे तुम्हारी खबर नहीं थी,
बहुतों ने कहा पर यकीन न हुआ, जो माँगा करते थे, अपने रहबर से तुझे दुआओं में,
पर ये भ्रम भी उस दिन टुट गया, जो देखा तुझे गैर की पनाहों में।।
मुझे इसका कोई गम नहीं कि, तुने मुझे कभी चाहा ही नही,
अरे आशिक का खुन तो सदियों से रहा ही है, मेहबुब की मेंहदी सजाने को।
पर इसकी जरूरत क्या थी, एक बार तुमने कहा तो होता तुम्हें क्या चाहिए,
ये हबीब तो पहले ही तेरी काया पे कुर्बान था, मार देता ठोकर इस जमाने को।।
दर्द इस बात का नहीं कि, तुने गैरों के संग मिलके मुझे तबाह किया,
बस थोड़ी तकलीफ इस बात की जरूर है, क्या मैं ही मिला था तुझें जमाने के इतने मुर्दो में,
फिर सोचता हुँ, शायद औकात नहीं थी तुम्हारें बगैर मुझे आजमाने की किसी के अपने गुर्दों में।।
आज तेरे शहर को अलविदा कर रहा हुँ,
अपना दर्द तुझसे बयाँ कर रहा हुँ,
कभी भी तो मेरे प्यार को तुम समझी होगी।
और शायद इसी को प्रेम कहते है, इतना के बाद भी मुझे यकीन है,
ये जन्म तो न रहा, पर अगले जन्म में मैं फिर आउँगा, और तु सिर्फ मेरी होगी।।
Outstanding line 👌👌👌❤️Dil ko chhu gayi yaar